Friday 10 July, 2009

यूपी सरकार को मूर्तियां लगाने से रोकने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नोएडा के एक पार्क में मुख्यमंत्री मायावती और अन्य दलित नेताओं की मूर्तियां लगाने के काम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जिसे राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
चीफ जस्टिस के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष एक आवेदन में इस काम में यथास्थिति रखने की मांग की गई थी। इसके बाद पीठ ने कहा, सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी तो अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। पीठ ने कहा, कैबिनेट ने मंजूरी दे दी तो हम कुछ नहीं कर सकते। उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में यमुना नदी के किनारे चार किलोमीटर लंबे इलाके में मायावती और बसपा संस्थापक कांशी राम सहित कई बीएसपी नेताओं की मूर्तियां लगाने का प्रस्ताव रखा था।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल की जानी चाहिए, जहां मूर्तियां लगाने से संबंधित अन्य मामले चल रहे हैं। पीठ ने वकील रविकांत से कहा, आपको हाई कोर्ट जाना चाहिए, जहां इससे संबंधित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जून को रविकांत की याचिका पर ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका में लखनऊ के एक पार्क में मायावती, कांशीराम और बीएसपी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियों को लगाने में सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
वकील रविकांत ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार को उनकी याचिका पर जून में दिए गए नोटिस पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का जो समय दिया गया है, उसका इस्तेमाल मूर्तियां लगाने के काम में तेजी लानें में किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि ताजा आवेदन पर मुख्य याचिका के साथ सुनवाई होगी। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और मायावती के करीबी सहयोगी वरिष्ठ वकील सतीश चंद मिश्रा ने रविकांत द्वारा दाखिल ताजा आवेदन पर विरोध जताया था।
वकील रविकांत द्वारा दायर जनहित याचिका में मांग की गई थी कि मायावती को सार्वजनिक स्थानों पर सरकारी धन से उनकी मूर्तियां लगाने से रोकने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने सरकारी कोष के दुरुपयोग के संबंध में सीबीआई जांच की मांग भी की। रविकांत ने पीठ के समक्ष कहा कि आरटीआई के जरिये हासिल जानकारी में पता चला कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर 52.20 करोड़ रुपये के सरकारी धन से हाथी की 60 मूर्तियां लगाई जा रहीं हैं।

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