Sunday 23 November, 2008

फलैश बैक. आगरा में समुद्री जीव-जंतुओं की तस्करी के मामले में 6 गिरफ्तार

संजय शर्मा
आगरा।
देश में शिक्षा के नाम पर पर्यावरण संतुलन को ध्वस्त किया जा रहा है। इसके लिए दुर्लभ जीवों का कारोबार और हत्या बेखौफ जारी है। जहां वन विभाग और पर्यावरण अधिकारी इस धंधे से पूरी तरह बेखबर थे, वहीं दिल्ली के एक पर्यावरण प्रेमी की पहल पर मामले का खुलासा हुआ। सूचना के बाद पुलिस ने इस रकैट का पर्दाफाश कर न केवल 6 लोगों को गिरफ्तार किया, बल्कि भारी मात्रा में मृत जीव-जंतू, पक्षी और जानवर बरामद किए। इन्हें फोर्मिलिन रसायन में सुरक्षित रखा गया था। हालांकि सूचना के बाद चैन्नई पुलिस ने इस मामले दो स्थानों पर छापे मारकर दो लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन आगरा में गिरोह का मुखिया ब्रिजेश अभी फरार है।
वल्र्ड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत देश में जीवों की खरीद-फरौख्त पूरी तरह प्रतिबंधित है, बावजूद इसके देश के स्कूल कालेजों में शिक्षा के नाम पर इनकी डिमांड और सप्लाई बढ़ी, जिस कारण बीती एक दशक में आगरा इस धंधे का बड़ा ट्रेडसेंटर बनकर उभरा है। यहां से हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, बिहार, उतरांचल प्रदेश व देश के विभिन्न इलाकों में दुर्लभ जीवों की सप्लाई की जाती है।
जांच एजेंसियों की माने तो शहर में बांयोसाइंस के नाम पर दुर्लभ जीवों का कारोबार करने वाले 30 से अधिक डीलर है, जिनके तार चैन्नई के अलावा विदेशों तक जुड़े हैं।
मामले का खुलासा उस समय हुआ जब पुलिस ने प्रोफेशनल कोरियर के संजय पलेस स्थित आफिस 29 एफ में छापा मारा। यहां से पुलिस को भारी मात्रा में वन्य और समुद्री जीव मिले। जो पैक करके बाहर भेजे जा रहे थे। यहां से पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि इस धंधे को चलाने वाला ब्रिजेश कुमार उपाध्याय अभी फरार है। इसके बाद पुलिस ने कैलाश पुरी कोलोनी स्थित मकान संख्या 13-ई छापा मारा। यह मकान ब्रिजेश का है। यहां से भी पुलिस को भारी मात्रा में वन्य व समुद्री जीव मिलें। बरामद जीवों की संख्या इतनी ज्यादा है कि एक सप्ताह के बाद भी इनकी गिनती जारी है, जिनका बाजार मुल्य अरबो रुपए में होने का अनुमान है। बरामद जीवों की खेप, बरामद जीवों में मगरमछ, स्टींग रे फिश, वाईपर्स नेक, मेढ़क, सीक, कोरल, सी-हार्स, गीरगिट, आक्टोपस, शार्क, शैंटीपिक, कछुए, कीट पतंगे, कोबरा, ओरोबैन्की, फोग्स एडं माईक लक्स, इलक्ट्रीक रे, लोलीगो, खरगोश, तोता, बटरफ्लाई, सीप व अन्य कई दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं।
आगरा के एसएसपी दिपेश जुनेजा के मुताबिक बरामद माल रायल बायलॉजीकल लैब सदापीठ चैन्नई से प्रोफेशनल कोरियर के माध्यम से भेजा गया था। उनके मुताबिक रायल बायलॉजीकल लैब के मालिक प्रोफेशनल कोरियर के नाम से दुर्लभ जीवों का कारोबार करते हैं। इस मामले में बृज भूमि फोरेस्ट डिविजन आगरा के अधिकारी के मुताबिक बरामद जीवों में अधिकांश जीव भारत में नहीं पाए जाते। यह जीव यूके, यूएस और यूरोपिय देशों से आयात किए जाने के क्यास लगाए जा रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी का कहना है कि आधुनिक युग में स्कूलों में शिक्षा के लिए जहां अनेक साफ्टवेयर मौजूद हैं, वहीं इंटरनेट पर इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है। एसे में दुर्लभ और प्रतिबंधित जीवों को रखना पूरी तरह अनुचित है। उनके अनुसार बरामद जीव वाईल्ड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट के शड्युल्ड वन, टू, के तहत प्रतिबंधित है। इनके शिकार, भंडारण के मामले में लेपर्ड के बराबर संज्ञेय अपराध है। उनके मुताबिक एक कोबरा की कीमत करीब 1 लाख से अधिक होती है, जबकि वाईपर्स कोबरा से 10 गुना ज्यादा जहरीला होता है।

राज माया का और कानून जंगल का खुब चला बुलडोजर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बार फिर जंगल के कानून ने जमकर तोड़फोड़ मचाई। इस बार माया सरकार के बुलडोजर के निशाने पर थे सिंचाई विभाग के दफ्तर और सरकारी घर हैं। प्रदेश सरकार इस जमीन पर एक स्मारक बनवाना चाहती हैं। लोगों के लाख विरोध के बाद भी दफ्तर और घरों को आनन-फानन में ढहा दिया गया। लोगों को इतना वक्त भी नहीं मिला की वो अपना सामान हटा सके।
सूत्रों के मुताबिक माया सरकार उस जगह पर कांशीराम की याद में स्मारक बनवाना चाहती है। जिस सरकारी कॉलोनी पर आज बुलडोजर चला। ये कॉलोनी तकरीबन 25 साल पहले बनी थी और ये इजीनियरों के लिए आवंटित है। यहां कई दफ्तर भी थे। इंजीनियरों की एसोसिएशन इस कॉलोनी और दफ्तरों को गिराने का विरोध कर रही थी। लेकिन सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। पूरे इलाके में पीएसी तैनात कर दी गई। कॉलोनी को छावनी में तब्दील कर दिया गया।
इंजीनियरों की मानें तो उन्हें इतना मौका भी नहीं मिला कि वो महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेख हटा सकते। एसोसिएशन ने इसे इंजीनियरिंग के इतिहास का काला दिन करार दिया है।
कॉलोनी तोड़े जाने के बारे में कोई भी सरकारी अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों के मकान भी गिराए गए हैं उन्हें मकान आवंटित कर दिया गया है। उधर सरकारी प्रवक्ता की मानें तो ये फैसला तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर लिया गया जिसमें कहा गया है कि ये भवन जर्जर हो चुके हैं।
दरएसल ऐसा करने के लिए मायावती सरकार ने अदालत को भी गुमराह किया है। सरकार ने अदालत में वायदा किया था बुलडोजर चलाने का उसका इरादा नहीं है। सरकार की तरफ से बतौर वकील अदालत पहुंचे बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार ने कॉलोनी या इमारत को गिराने का कोई फैसला नहीं किया है।
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इस मामले में समाजवादी पार्टी एक कमेटी बना कर इसकी जांच करेगी और मुख्यमंत्री से इसका हिसाब लेगी।

Tuesday 11 November, 2008

भाजपा ने शरू की लोकसभा चुनाव तैयारी

नई दिल्ली। भारतीय जनता प्रार्टी ने आज 2009 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की घोषित रूप से तैयारी शुरू कर दी है। प्रार्टी ने राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद समेत उत्तर प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नामों का आज ऐलान कर दिया।

सीट/शहर प्रत्याशी का नाम
गाजियाबाद राजनाथ सिंह
वाराणासी मुरली मनोहर जोशी
एटा कल्याण सिंह
रामपुर मुख्तार अब्बास नकवी
गौरखपुर योगी आदित्य नाथ
बरेली संतोष गंगवार
महाराज गंज पंकज चौधरी
अनवला मेनका गांधी
पीलिभीत वरुण गांधी
जालौन भानू प्रताप वर्मा
बुलंदशहर अशोक प्रधान

Tuesday 4 November, 2008

खाद्यान्न घोटाले में सीबीआई जांच शुरू

अफसरों समेत 175 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज,
खीमपुर खीरी और बलिया के मामले
लखनऊ। लंबी जद्दो केबाद आखिरकार सीबीआई ने खाद्यान्न घोटाले में जांच शुरू कर दी। सीबीआई ने शिकंजा कसते हुए लखीमपुर खीरी और बलिया में हुए इस घोटाले में १७५ अफसरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने दोनों जिलों में वर्ष 2004-05 के बीच हुए खाद्यान्न घोटाले के मामले में नौ एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें से आठ बलिया खाद्यान्न घोटाले की और एक खीरी के घोटाले की है। बलिया के आठ तत्कालीन सीडीओ, कई एसडीएस, तहसीलदार और ग्राम प्रधान समेत 71 लोग नामजद किए गए हैं। सीबीआई जल्द ही घोटाले में शामिल लोगों के संबंध में पड़ताल शुरू करेगी। हरेक एफआईआर की त3तीश के लिए एक अलग टीम बनाई जाएगी।
सरकार ने एसआईटी की रिपोर्ट पर खाद्यान्न घोटाले की जांच 1 दिसंबर 2007 को सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। एसआईटी ने कहा था कि घोटाले में केंद्रीय खाद्य विभाग के अधिकारियों के संलिप्त होने के आरोप हैं और मामला देश-विदेश से जुड़ा है, नतीजतन जांच सीबीआई करे। काफी खींचतान के बाद सीबीआई ने खाद्यान्न घोटाले के 52 में से 9 मामलों में अपने मु™æख्यालय में रिपोर्ट दर्ज की है। इनमें करीब दो दर्जन पीसीएस अधिकारी भी शामिल हैं। इनमें 8 सीडीओ, 10 उप जिलाधिकारियों के साथ ही जिला पूर्ति अधिकारी नामजद हुए हैं। उनके खिलाफ सीबीआई ने कूटरचना, दस्तावेजों में हेराफेरी और आपराधिक साजिश कर साक्ष्य मिटाने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-13 (1) और 13 (2) डी (पद पर रहते हुए अनुचित लाभ पहुंचाना) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
आरोप है कि सुनिश्चित रोजगार योजना और अंत्योदय योजना में गरीबों को खाद्यान्न का लाभ देने के बजाय फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया। बलिया के 8 मामलों में 14 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई है जबकि खीरी में 1.20 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में उस दौरान खीरी में तैनात रहे 11 एसडीएम समेत करीब 100 से अधिक अन्य अधिकारियों, ठेकेदारों और माफिया तथा बिचौलियों को नामजद किया गया है। सीबीआई ने सरकार से संबंधित दस्तावेज देने को कहा है।
सीबीआई ने सरकार से घोटाले की जांच करने के लिए लखीमपुर खीरी और बलिया में सुविधाएं देने को कहा है। सीबीआई ने कहा है चूंकि सीबीआई के पास स्टाफ की कमी है, ऐसे में हर मामले में एक टीम बनाने के लिए नौ इंस्पेक्टर, 9 सब-इंस्पेक्टर, 18 मुख्य आरक्षी, 4 कंप्यूटर, खाद्य विभाग के दो अधिकारियों को सीबीआई से संबद्ध करने के अलावा 10 वाहन व ड्राइवर दिए जाएं। साथ ही बलिया और खीरी में पुलिस टीमों के ठहरने और तफतीश संबंधी काम के लिए गेस्ट हाउस, टेलीफोन आदि की सुविधा भी मांगी है।
बलिया घोटाले में नामजद पूर्व सीडीओ
1-जे.बी. सिंह, 2-राममूर्ति, 3-हीरामणि, 4-हरिओम, 5-अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, 6-दीनानाथ पाटवा, 7-केदार प्रसाद गुप्ता, 8-तपेंद्र कुमार।
अन्य अधिकारी:
1-राम किशुन राम डीडीओ, 2-लाल बहादुर डीडीओ बलिया, 3- अर्जुन राम परियोजना निदेशक डीआरडीए बलिया, 5-आर.बी. सिंह परियोजना निदेशक डीआरडीए बलिया तथा 71 अभियुक्त नामजद हुए हैं।
खीरी में दर्ज मामले में नामजद प्रमुख अधिकारी-कर्मचारी
आवश्यक वस्तु निगम के प्रबंधक थान सिंह व शैलेंद्र सिंह
निवर्तमान एसडीएम
1. सुधा वर्मा
2. इंद्रासन सिंह यादव
3. प्रमोद शंकर शु1ला
4. सुरेंद्र प्रकाश सिंह
5. ओम प्रकाश वर्मा
6. देवेंद्र कुमार पाण्डेय
7.प्रेम प्रकाश पाल
8. हरेंद्र कुमार पाण्डेय
9. साहब सिंह
10. कृपा शंकर पाण्डेय
11. जयकरण सिंह
जिलापूर्ति अधिकारी
अमित कुमार भल्ला
राम करन
तहसीलदार-
केपी सिंह (सदर)
शमशाद हुसैन (धौरहरा)
राजेश सिंह सेंगर (गोला)
जमीर अहमद (मोह6मदी)
देवेंद्र प्रकाश सिंह (निघासन)
ठेकेदार
हरजीत सिंह राणा
जालिम गुप्ता
सर्वेश कुमार वर्मा
सत्यपाल सिंह
मानवेंद्र प्रताप सिंह
खाद्यान्न घोटाला
-वर्ष 2001-03 कई जिलों में सुनिश्चित रोजगार योजना के अनाज की कालाबाजारी की घटनाएं चर्चा में आईं।
-बलिया जिला पंचायत का खाद्यान्न घोटाला सामने आया।
-वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रमुख सचिव खाद्य-रसद पी.सी. चतुर्वेदी ने लखीमपुरखीरी की जांच के लिए विशेष टीम भेजी। टीम ने जांच-पड़ताल करके अकेले लखीमपुर खीरी में भारी गोलमाल की रिपोर्ट सरकार को दी।
-अकटूबर 2004 को तत्कालीन मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव ने खाद्यान्न घोटाले के आरोप में लखीमपुरखीरी के तत्कालीन जिलाधिकारी, सभी तहसीलों के उप जिलाधिकारियों, दो जिला आपूर्ति अधिकारियों, खीरी के 15 इलाकों के सभी गोदाम प्रभारियों और जिले में तैनात अधिकांश लेखपालों को निलंबित कर दिया।
-खाद्य रसद विभाग के फूड सेल में तैनात तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जसवीर सिंह को पूरे मामले की जांच सौंपी गई।
-वर्ष 2005 में जसवीर सिंह ने सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें घोटाले के लिए लगभग 300 अधिकारियों, कर्मचारियों और दुकानदारों को दोषी ठहराया गया।
-इसी बीच बांग्लादेश जा रहा अनाज पकड़ में आ गया। यह खाद्यान्न गोंडा से बांग्लादेश जा रहा था। इसकी जांच खाद्य विभाग के विशेष सचिव को सौंपी गई तो गोंडा में लगभग 400 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले की बात सामने आई। पर तत्कालीन मु2य सचिव ने इस रिपोर्ट को अतिरंजित बताते हुए पूरे प्रदेश में जांच की घोषणा की।
-जांच में बलिया, आजमगढ़, रायबरेली सहित कई जिलों में खाद्यान्न घोटाले की बात सामने आई।
-कुछ संगठनों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ में याचिका दायर की तो सरकार ने ईओड4लू से जांच शुरू कराई।
-2006 में ईओडइल्यू ने गोंडा के खाद्यान्न घोटाले की जांच कर 63 अभियोग दर्ज कराए। इसमें 144 अभियु1त नामजद किए गए तथा 15 गिरफ्तार।
-19 दिसंबर 2007 में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार से खाद्यान्न घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की अपेक्षा की।
-इसकेबाद वर्तमान सरकार ने 2004-05 को बड़े खाद्यान्न घोटाले का वर्ष मानते हुए इस दौरान हुए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की।

Sunday 2 November, 2008

कुंबले का आखिरी सलाम, 'अलविदा क्रिकेट'

नई दिल्ली। भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की कर दी है। यह घोषणा उन्होंने राजधानी के फिरोजशाह कोटला मैदान पर आस्ट्रेलिया के साथ खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के अंतिम दिन के मैच समाप्त होने के बाद की।
समझा जाता है कि कुंबले ने संन्यास की पहले से तैयारी कर रखी थी, जिसका कारण उनकी अपनी पत्नी और बच्चें का बेंगलुरू से दिल्ली में मौजूद होना है। कुंबले ने मैदान में अपनी पत्नी और बच्चे के साथ दर्शकों और साथियों का अभिवादन स्वीकार किया।
अब भारतीय टीम नागपुर के विदर्भ क्रिकेट संघ मैदान पर छह नवंबर से आस्ट्रेलिया के साथ खेले जाने वाले चौथे टेस्ट मैच में कुंबले के बगैर ही उतरेगी।
वर्ष 1990 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का आगाज करने वाले कुंबले ने भारत के लिए 132 टेस्ट मैच खेलते हुए 29.59 के औसत से कुल 619 विकेट बटोरे।
कुंबले ने टेस्ट मैचों में 2461 रन भी बनाए हैं। उनके खाते में एक शतक और पांच अर्धशतक हैं। इसके अलावा उन्होंने 59 कैच भी लिए हैं।
विकेटों के लिहाज से वे दुनिया के तीसरे सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज हैं। उनसे आगे श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन (756) और आस्ट्रेलिया के शेन वार्न (708) हैं। कुंबले भारत के सबसे सफल टेस्ट और एकदिवसीय गेंदबाज हैं।
कुंबले ने 19 मार्च 2007 को पोर्ट ऑफ स्पेन में अपने करियर का आखिरी एकदिवसीय मैच खेला था। उन्होंने 271 मैचों में 337 विकेट लिए हैं।
कोटला टेस्ट के तीसरे दिन कुंबले के बाएं हाथ की छोटी अंगुली बुरी तरह चोटिल हो गई थी। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा था। इसके बावजूद वे हांथ में पट्टी बांधकर चौथे दिन मैदान में उतरे और दो विकेट झटके।
ऐसा कहा जा रहा है कि कुंबले चोट के कारण क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं लेकिन सच क्या है इसका खुलासा मैच के बाद ही हो सकेगा, जब खुद कुंबले पत्रकारों के सवालों का जवाब देंगे।
कमाल के कुंबले
टेस्ट मैच : 132
विकेट : 619
औसत : 29.63
बेस्ट :10/74

कोटला के किंगः कुंबले
नई दिल्ली। इंग्लैंड के खिलाफ 1990 में पदार्पण के बाद भारतीय टीम का अभिन्न अंग रहे अनिल कुंबले ने उस फिरोजशाह कोटला पर अपनी क्रिकेट पारी का अंत किया, जो कई मायनों में उनके दिल के काफी करीब रहा।खराब फॉर्म और चोट के कारण संन्यास लेने का फैसला करने वाले कुंबले दिल्ली के इसी मैदान पर फरवरी 1999 में पाकिस्तान की दूसरी पारी में सभी 10 विकेट चटकाकर यह उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के सिर्फ दूसरे गेंदबाज बने थे। उनसे पहले यह कारनामा करने वाले एकमात्र गेंदबाज इंग्लैंड के स्पिनर जिम लेकर थे, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पारी में दस और मैच में 19 विकेट चटकाए थे। कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ इस मैच में 149 रन देकर 14 विकेट 75 रन पर चार विकेट और 74 रन पर 10 विकेट चटकाए थे, जिसकी बदौलत भारत ने 212 रन से जीत दर्ज की थी। भारतीय कप्तान इस मैदान पर सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए हैं और उन्होंने सात मैचों में 58 विकेट चटकाएँ हैं। उन्होंने यहाँ पाँच बार पारी में पाँच और दो बार पारी में दस विकेट चटाए हैं। कुंबले ने 132 टेस्ट के अपने करियर में 29.63 की औसत से कुल 619 विकेट लिए। कुंबले ने 1992 में फिरोजशाह कोटला में ही ईरानी ट्रॉफी मैच में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय कप्तान ने भी स्वीकार किया कोटला मैदान उनके लिए काफी भाग्यशाली है और उन्होंने हमेशा यहाँ खेलने का लुत्फ उठाया। कुंबले ने संन्यास लेने के बाद कहा मैंने प्रत्येक क्षण का भरपूर लुत्फ उठाया। यदि सबसे यादगार क्षण की बात करनी ही है तो 1990 की मेरी पहली श्रृंखला और कोटला पर एक पारी में दस विकेट लेना मेरे करियर का बहुत अहम लम्हा था। उन्होंने कहा दिल्ली मेरे लिए बहुत अहम स्थान रखता है। यहाँ से मेरी कई अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं। वर्ष 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ पारी में दस विकेट लेने के बाद से कुंबले जब भी इस मैदान पर गेंदबाजी करने उतरे, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने उनकी टोपी अंपायर को दी। तेंडुलकर को लगता था कि उनका ऐसा करना इस गेंदबाज के लिए भाग्यशाली रहेगा।ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और कुंबले के करियर के अंतिम टेस्ट की दूसरी पारी में भी तेंडुलकर ने अंपयर अलीम डार को उनकी टोपी दी, लेकिन यह भारतीय स्पिनर चार ओवर में कोई विकेट हासिल नहीं कर सका। मैच के बाद उन्होंने कहा सचिन ने कहा कि ऐसा करने से मुझे अपनी अंतिम पारी में भी विकेट मिल जाएगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। कुंबले को कोटला में कभी हार का मुँह नहीं देखना पड़ा। उन्होंने मार्च 1993 में मोहम्मद अजहरूद्दीन की अगुआई वाली टीम की ओर से जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में आठ विकेट लिए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अक्टूबर 1996 में कुंबले ने गेंदबाजी में कमाल दिखाते हुए नौ विकेट चटकाए, जबकि तीन साल बाद फरवरी 1999 में उन्होंने परफेक्ट टेन का इतिहास इसी मैदान पर रचा। कुंबले ने इसके बाद फरवरी 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में सात और 2005 में श्रीलंका के खिलाफ दस विकेट चटकाए। पिछले साल पाकिस्तान के खिलाफ भी कुंबले ने फिर से गेंदबाजी में कमाल दिखाया और सात विकेट लिए, जिससे भारत छह विकेट से जीत दर्ज करने में सफल रहा।


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