Tuesday 4 November, 2008

खाद्यान्न घोटाले में सीबीआई जांच शुरू

अफसरों समेत 175 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज,
खीमपुर खीरी और बलिया के मामले
लखनऊ। लंबी जद्दो केबाद आखिरकार सीबीआई ने खाद्यान्न घोटाले में जांच शुरू कर दी। सीबीआई ने शिकंजा कसते हुए लखीमपुर खीरी और बलिया में हुए इस घोटाले में १७५ अफसरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने दोनों जिलों में वर्ष 2004-05 के बीच हुए खाद्यान्न घोटाले के मामले में नौ एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें से आठ बलिया खाद्यान्न घोटाले की और एक खीरी के घोटाले की है। बलिया के आठ तत्कालीन सीडीओ, कई एसडीएस, तहसीलदार और ग्राम प्रधान समेत 71 लोग नामजद किए गए हैं। सीबीआई जल्द ही घोटाले में शामिल लोगों के संबंध में पड़ताल शुरू करेगी। हरेक एफआईआर की त3तीश के लिए एक अलग टीम बनाई जाएगी।
सरकार ने एसआईटी की रिपोर्ट पर खाद्यान्न घोटाले की जांच 1 दिसंबर 2007 को सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। एसआईटी ने कहा था कि घोटाले में केंद्रीय खाद्य विभाग के अधिकारियों के संलिप्त होने के आरोप हैं और मामला देश-विदेश से जुड़ा है, नतीजतन जांच सीबीआई करे। काफी खींचतान के बाद सीबीआई ने खाद्यान्न घोटाले के 52 में से 9 मामलों में अपने मु™æख्यालय में रिपोर्ट दर्ज की है। इनमें करीब दो दर्जन पीसीएस अधिकारी भी शामिल हैं। इनमें 8 सीडीओ, 10 उप जिलाधिकारियों के साथ ही जिला पूर्ति अधिकारी नामजद हुए हैं। उनके खिलाफ सीबीआई ने कूटरचना, दस्तावेजों में हेराफेरी और आपराधिक साजिश कर साक्ष्य मिटाने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-13 (1) और 13 (2) डी (पद पर रहते हुए अनुचित लाभ पहुंचाना) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
आरोप है कि सुनिश्चित रोजगार योजना और अंत्योदय योजना में गरीबों को खाद्यान्न का लाभ देने के बजाय फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया। बलिया के 8 मामलों में 14 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई है जबकि खीरी में 1.20 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में उस दौरान खीरी में तैनात रहे 11 एसडीएम समेत करीब 100 से अधिक अन्य अधिकारियों, ठेकेदारों और माफिया तथा बिचौलियों को नामजद किया गया है। सीबीआई ने सरकार से संबंधित दस्तावेज देने को कहा है।
सीबीआई ने सरकार से घोटाले की जांच करने के लिए लखीमपुर खीरी और बलिया में सुविधाएं देने को कहा है। सीबीआई ने कहा है चूंकि सीबीआई के पास स्टाफ की कमी है, ऐसे में हर मामले में एक टीम बनाने के लिए नौ इंस्पेक्टर, 9 सब-इंस्पेक्टर, 18 मुख्य आरक्षी, 4 कंप्यूटर, खाद्य विभाग के दो अधिकारियों को सीबीआई से संबद्ध करने के अलावा 10 वाहन व ड्राइवर दिए जाएं। साथ ही बलिया और खीरी में पुलिस टीमों के ठहरने और तफतीश संबंधी काम के लिए गेस्ट हाउस, टेलीफोन आदि की सुविधा भी मांगी है।
बलिया घोटाले में नामजद पूर्व सीडीओ
1-जे.बी. सिंह, 2-राममूर्ति, 3-हीरामणि, 4-हरिओम, 5-अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, 6-दीनानाथ पाटवा, 7-केदार प्रसाद गुप्ता, 8-तपेंद्र कुमार।
अन्य अधिकारी:
1-राम किशुन राम डीडीओ, 2-लाल बहादुर डीडीओ बलिया, 3- अर्जुन राम परियोजना निदेशक डीआरडीए बलिया, 5-आर.बी. सिंह परियोजना निदेशक डीआरडीए बलिया तथा 71 अभियुक्त नामजद हुए हैं।
खीरी में दर्ज मामले में नामजद प्रमुख अधिकारी-कर्मचारी
आवश्यक वस्तु निगम के प्रबंधक थान सिंह व शैलेंद्र सिंह
निवर्तमान एसडीएम
1. सुधा वर्मा
2. इंद्रासन सिंह यादव
3. प्रमोद शंकर शु1ला
4. सुरेंद्र प्रकाश सिंह
5. ओम प्रकाश वर्मा
6. देवेंद्र कुमार पाण्डेय
7.प्रेम प्रकाश पाल
8. हरेंद्र कुमार पाण्डेय
9. साहब सिंह
10. कृपा शंकर पाण्डेय
11. जयकरण सिंह
जिलापूर्ति अधिकारी
अमित कुमार भल्ला
राम करन
तहसीलदार-
केपी सिंह (सदर)
शमशाद हुसैन (धौरहरा)
राजेश सिंह सेंगर (गोला)
जमीर अहमद (मोह6मदी)
देवेंद्र प्रकाश सिंह (निघासन)
ठेकेदार
हरजीत सिंह राणा
जालिम गुप्ता
सर्वेश कुमार वर्मा
सत्यपाल सिंह
मानवेंद्र प्रताप सिंह
खाद्यान्न घोटाला
-वर्ष 2001-03 कई जिलों में सुनिश्चित रोजगार योजना के अनाज की कालाबाजारी की घटनाएं चर्चा में आईं।
-बलिया जिला पंचायत का खाद्यान्न घोटाला सामने आया।
-वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रमुख सचिव खाद्य-रसद पी.सी. चतुर्वेदी ने लखीमपुरखीरी की जांच के लिए विशेष टीम भेजी। टीम ने जांच-पड़ताल करके अकेले लखीमपुर खीरी में भारी गोलमाल की रिपोर्ट सरकार को दी।
-अकटूबर 2004 को तत्कालीन मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव ने खाद्यान्न घोटाले के आरोप में लखीमपुरखीरी के तत्कालीन जिलाधिकारी, सभी तहसीलों के उप जिलाधिकारियों, दो जिला आपूर्ति अधिकारियों, खीरी के 15 इलाकों के सभी गोदाम प्रभारियों और जिले में तैनात अधिकांश लेखपालों को निलंबित कर दिया।
-खाद्य रसद विभाग के फूड सेल में तैनात तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जसवीर सिंह को पूरे मामले की जांच सौंपी गई।
-वर्ष 2005 में जसवीर सिंह ने सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें घोटाले के लिए लगभग 300 अधिकारियों, कर्मचारियों और दुकानदारों को दोषी ठहराया गया।
-इसी बीच बांग्लादेश जा रहा अनाज पकड़ में आ गया। यह खाद्यान्न गोंडा से बांग्लादेश जा रहा था। इसकी जांच खाद्य विभाग के विशेष सचिव को सौंपी गई तो गोंडा में लगभग 400 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले की बात सामने आई। पर तत्कालीन मु2य सचिव ने इस रिपोर्ट को अतिरंजित बताते हुए पूरे प्रदेश में जांच की घोषणा की।
-जांच में बलिया, आजमगढ़, रायबरेली सहित कई जिलों में खाद्यान्न घोटाले की बात सामने आई।
-कुछ संगठनों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ में याचिका दायर की तो सरकार ने ईओड4लू से जांच शुरू कराई।
-2006 में ईओडइल्यू ने गोंडा के खाद्यान्न घोटाले की जांच कर 63 अभियोग दर्ज कराए। इसमें 144 अभियु1त नामजद किए गए तथा 15 गिरफ्तार।
-19 दिसंबर 2007 में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार से खाद्यान्न घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की अपेक्षा की।
-इसकेबाद वर्तमान सरकार ने 2004-05 को बड़े खाद्यान्न घोटाले का वर्ष मानते हुए इस दौरान हुए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की।

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