Thursday 9 July, 2009

बोले उलेमा, समलैंगिकता से बढ़ेंगे तलाक के मामल

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर। धामिर्क नेताओं के एक संगठन ने आरोप लगाया है कि समलैंगिकता को कानूनी मान्यता के लिए प्रचारकरना देश की नैतिक व सामाजिक मूल्यों को खत्म करने की एक सोची समझी साजिश है। इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए उन्होंने सरकार से मांग की है। दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं ने आशंका व्यक्त की है कि समलैंगिकता को कानूनी मान्यता मिलने से तलाक के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।
दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के मुफ्ती जैनुल इस्लाम ने बताया कि समलैंगिकता को इस्लाम में हराम और गैरकानूनी बताया गया है। मुफ्ती जैनुल ने आशंका व्यक्त की कि समलैंगिकता को मान्यता मिलने से पति-पत्नी के संबंधों में दरार पड़ सकती है। मुफ्ती इमरान ने भी समलैंगिकता का विरोध करते हुए कहा कि इसे जानवर भी पसंद नहीं करते।
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि समलैंगिकता को वैध बनाने वाला दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला गैरकानूनी और धर्म और कुदरत के नियमों के खिलाफ है।
बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने को बताया कि यह फैसला केवल एक बहुत ही छोटे समलैंगिक समुदाय के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले की इसलिए निंदा की जानी चाहिए क्योंकि यह धर्म और प्रकृति के उसूलों के खिलाफ है।
नदवी ने कहा कि पश्चिम देश कई सालों से समलैंगिकता को वैधता दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले से समलैंगिक समुदाय को बल मिलेगा जिसका हमारे समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। नदवी ने कहा कि इतिहास में समलैंगिकता को कभी स्वीकारा नहीं किया गया।

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